मेरा क्या कसूर था? जब Raghu ने गरीबी से सवाल किया
"मेरा नाम Raghu है... और मैं सिर्फ 8 साल का हूं।"
ये मैं हर उस शख्स को बताना चाहता हूं जो मुझे नजरअंदाज करता है। मेरी उम्र तो छोटी है, लेकिन मेरे सवाल बहुत बड़े हैं।
मैं रोज़ खुद से एक ही बात पूछता हूं —
"मैं गरीब घर में क्यों पैदा हुआ? आख़िर मेरा क्या कसूर था?"
मैं एक छोटे से गाँव की टूटी-फूटी झोपड़ी में रहता हूं। छत से बारिश टपकती है, दीवारें सीलन से भरी हुई हैं। मां अब इस दुनिया में नहीं हैं, और पापा... वो मुझे बहुत पहले ही छोड़कर जा चुके हैं। वो कहते थे, "बेटा, तू अब बड़ा हो गया है, खुद का ख्याल रखना सीख ले।"
पर क्या आठ साल का बच्चा बड़ा हो जाता है?
गाँव के बाकी बच्चे स्कूल जाते हैं, उनके पास बैग होता है, जूते होते हैं और टिफिन में पराठे। मैं? मैं बस स्कूल के बाहर से झांकता हूं। कई बार लगता है कि कोई मुझे भी अंदर बुला लेगा, पर ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ।
मैं दिन भर इधर-उधर कूड़ा बीनता हूं। कभी-कभी कोई दुकानदार बचे हुए खाने का टुकड़ा दे देता है, तो वही मेरे लिए दावत बन जाती है।
पर जब रात आती है न, और मैं अपनी पुरानी गंदी सी चादर ओढ़कर अकेले सोता हूं, तब दिल में सिर्फ एक ही ख्याल आता है —
"भगवान ने मुझे गरीब घर में क्यों भेजा? क्या मेरी कोई गलती थी?"
मुझे याद है, एक बार मैंने आसमान की ओर देखा और चिल्लाया —
"भगवान, क्या मेरी कोई सुन रहा है?"
अचानक एक तेज हवा चली, मानो कोई जवाब दे रहा हो।
मैं डर गया, लेकिन दिल में हल्की सी उम्मीद जागी —
शायद कोई है जो मेरी बात सुन रहा है।
एक दिन जब मैं मंदिर के बाहर बैठा था, वहां एक बूढ़ा बाबा आए। उन्होंने मुझसे पूछा,
"बच्चे, क्यों रो रहा है?"
मैंने कहा,
"मैं गरीब हूं बाबा, और मुझे समझ नहीं आता, मैंने ऐसा क्या किया जो मेरी मां चली गई और पापा भी मुझे छोड़ गए।"
बाबा मुस्कुराए और बोले,
"बेटा, गरीबी जन्म से नहीं, सोच से होती है। तू अगर बड़ा होकर मेहनत करेगा, ईमानदारी से जिएगा, तो तेरी किस्मत बदल जाएगी।"
उनकी बातें दिल को छू गईं।
मैंने उसी दिन सोच लिया —
"मैं हार नहीं मानूंगा।"
अब मैं दिन में काम करता हूं और रात को एक पुराने स्कूल की खिड़की के पास बैठकर वहाँ पढ़ाए गए पाठों को चुपचाप सुनता हूं। मैं अक्षर पहचानने लगा हूं, शब्द जोड़ने लगा हूं, और सपने देखने भी।
मुझे नहीं पता मेरा आने वाला कल कैसा होगा।
पर मैं इतना ज़रूर जानता हूं —
मैं गरीबी में पैदा हुआ हूं, पर गरीबी में मरूंगा नहीं।
💡 कहानी से सीख (Moral of the Story):
गरीबी कोई पाप नहीं होती, लेकिन हार मान लेना सबसे बड़ी हार होती है। मासूम Raghu की तरह अगर हिम्मत हो, तो कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है।
हर गली में, हर गांव में, कोई न कोई "Raghu " आज भी जी रहा है — सवालों में उलझा, उम्मीदों में डूबा। अगर आप किसी Raghu की मदद कर सकते हैं, तो जरूर करें। क्योंकि शायद वो बच्चा ही कल का भारत बनेगा।
Bahut badiya sir. ye kahani dil ko chhu liya
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