जब ममता ने मात खा ली मोहब्बत से – मुज़फ़्फरनगर की दर्दनाक सच्चाई
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फरनगर से आई यह घटना दिल को चीर देने वाली है। एक मां, जिसने नौ महीने पेट में अपने बच्चों को रखा, जिसने उन्हें जन्म दिया और प्यार किया — वही मां एक दिन प्रेमी के लिए हैवान बन गई। उसने अपने दो मासूम बच्चों को ज़हर दे दिया, सिर्फ इसलिए क्योंकि उसका प्रेमी उन्हें पसंद नहीं करता था।
ये सच्चाई सिर्फ एक अपराध नहीं है, बल्कि समाज को झकझोर देने वाली ममता की हत्या है।
कहां और कैसे शुरू हुई ये प्रेम कहानी?
घटना मुज़फ़्फरनगर जिले के खतौली थाना क्षेत्र की है। आरोपी महिला 25 वर्षीय रुखसाना (परिवर्तित नाम) है। उसके पति का 2 साल पहले देहांत हो गया था। दो छोटे बच्चे — एक बेटा (6 साल) और एक बेटी (4 साल) — उसके जीवन का सहारा थे।
पति की मौत के बाद रुखसाना अकेली पड़ गई और इसी दौरान उसकी जान-पहचान हुई रहीम नामक व्यक्ति से, जो पड़ोस के गांव का रहने वाला था। रहीम शादीशुदा था, लेकिन रुखसाना से उसका रिश्ता धीरे-धीरे गहरा होता गया।
प्रेम का पागलपन और बच्चों से नफरत
रहीम को रुखसाना तो पसंद थी, लेकिन उसके बच्चे नहीं। वह बार-बार उसे समझाता कि अगर वह उसके साथ ज़िंदगी बिताना चाहती है, तो बच्चों को किसी और के पास छोड़ दे।
रुखसाना ने कोशिश की, लेकिन न तो समाज साथ आया और न ही परिवार। रहीम ने एक दिन कह दिया —
“या तो मैं रहूं, या तेरे बच्चे।”
इसी एक वाक्य ने रुखसाना के अंदर की मां को मार डाला, और प्रेमिका को जिंदा कर दिया।
🧪 ज़हर का इंतज़ाम और मौत की रात
रुखसाना ने पहले से योजना बना ली थी। वह बच्चों के पसंदीदा दूध और मिठाई लाई। रात में बच्चों को खाना खिलाने के बहाने उसने मिलाया गया ज़हर दे दिया।
सुब्ह होते-होते दोनों बच्चे तड़प-तड़पकर दम तोड़ चुके थे।
जब मोहल्ले वालों ने बच्चों की हालत देखी, तो पुलिस को बुलाया गया। बच्चों को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
पुलिस की जांच में खुलासा
पुलिस ने पहले इसे सामान्य मौत समझा, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने चौंका दिया — बच्चों के शरीर में पॉइज़न (जहर) की पुष्टि हुई।
पूछताछ में रुखसाना ने पहले झूठ बोला, लेकिन जब रहीम से संपर्क किया गया और मोबाइल चैट्स खंगाले गए, तब पूरा सच सामने आया।
रुखसाना टूट गई और कबूल कर लिया — “मैंने बच्चों को जहर दिया, ताकि रहीम मुझसे शादी कर सके।”
कानून का शिकंजा
रुखसाना और रहीम दोनों पर IPC की धारा 302 (हत्या) और 120B (साजिश) के तहत केस दर्ज हुआ है।
रुखसाना को तुरंत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। रहीम फिलहाल पुलिस की निगरानी में है।
समाज में उठते सवाल
- क्या मां की ममता इतनी कमजोर हो सकती है?
- क्या प्रेम में इंसान इतना अंधा हो सकता है?
- समाज, रिश्तों और सोच में ऐसा क्या बदल रहा है?
इस घटना ने न सिर्फ एक परिवार को उजाड़ा, बल्कि एक ऐसी बहस को जन्म दिया जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
मासूमों का क्या कसूर?
जो दो नन्ही ज़िंदगियां हंसती-खेलती थीं, जिन्हें दुनिया ने देखा भी ठीक से नहीं, वे मां के हाथों मौत का शिकार बन गईं।
उनकी सिर्फ एक गलती थी — वो उस मां की औलाद थे, जिसने मोहब्बत को मातृत्व से ऊपर रख दिया।
हमें क्या सीखना चाहिए?
- मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें – अकेलेपन में व्यक्ति गलत फैसले ले सकता है।
- प्रेम और पागलपन में फर्क समझें – रिश्तों की हद जरूरी है।
- समाज और परिवार को मजबूत करें – अकेली महिलाओं को सहारा मिलना चाहिए, न कि तिरस्कार।
- बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए – कोई भी रिश्ता बच्चों से बड़ा नहीं।
ENDING
यह घटना किसी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं, हकीकत है, जो हमारे आसपास घट रही है। एक मां जिसने अपने बच्चों को मौत की नींद सुला दिया, वह समाज का आईना है — जिसमें अकेलापन, प्रेम का अंधापन और संवेदनहीनता बढ़ रही है।
अब समय है सोचने का — क्या हम सही दिशा में जा रहे हैं?