Chapter No -1
सर्दी की हल्की धूप और बच्चों की खिलखिलाती हँसी से भरे एक छोटे से शहर का एक प्राइमरी स्कूल — सेंट मेरीज़ स्कूल। रंग-बिरंगे बैग, यूनिफॉर्म में सजे बच्चे और उनके बीच भागती दौड़ती ज़िंदगियाँ। इस भीड़ में दो बच्चे धीरे-धीरे अपनी मासूमियत के साथ बढ़ रहे थे — रिया और विवेक।
रिया — 7 साल की प्यारी-सी बच्ची, जिसकी आँखों में सपने थे — डॉक्टर बनने के। उसकी हँसी इतनी निश्छल थी कि जैसे किसी मंदिर की घंटी। लेकिन वो थोड़ी शांत थी, दूसरों से कम बोलती थी। अक्सर किताबों में खोई रहती, या फिर अपनी क्लास टीचर शालिनी मैम के पास बैठी कुछ ना कुछ पूछती रहती।
विवेक — 8 साल का लड़का, तेज़ दिमाग और ईमानदार दिल का मालिक। उसे हर बात की तह तक जाना पसंद था। विज्ञान उसका पसंदीदा विषय था, और वह हमेशा कुछ नया जानने के लिए उत्साहित रहता था। वो और रिया पक्के दोस्त बन चुके थे — एक-दूसरे के लंच शेयर करते, साथ खेलते, और जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे की मदद करते।
स्कूल की दीवारें हँसी से गूंजती थीं, लेकिन रिया के मन में एक अनजानी सी बेचैनी घर करने लगी थी। पिछले कुछ दिनों से उसकी मुस्कान कुछ फीकी हो गई थी। कभी-कभी वह खेल के मैदान में चुपचाप बैठी रहती, कभी किसी के छूने से झटके से पीछे हट जाती।
विवेक ने यह सब गौर किया। उसने रिया से पूछा भी,
“क्या हुआ रिया? तुम आजकल इतनी चुप क्यों हो?”
रिया बस मुस्करा देती, “कुछ नहीं विवेक… बस ऐसे ही।”
लेकिन विवेक को यकीन था, कुछ तो है।
एक दिन जब टीचर ने बच्चों से पूछा — “क्या कोई ऐसी बात है जो आप किसी को बताना चाहते हैं?”,
रिया ने सिर झुका लिया। उसकी आँखें नम थीं। वो कहना चाहती थी कुछ… लेकिन शब्दों से डरती थी।
विवेक को समझ नहीं आ रहा था कि उसका सबसे अच्छा दोस्त इतनी घुटन में क्यों है।
और यहीं से शुरू होती है एक ऐसी यात्रा, जहाँ दो छोटे बच्चों की दोस्ती समाज की आँखें खोल देती है।
सीख:
मासूमियत के पीछे कई बार एक दर्द छिपा होता है। बच्चों की छोटी-छोटी हरकतों में बड़ी कहानियाँ छिपी होती हैं। हर माता-पिता, हर शिक्षक को बच्चों के हाव-भाव पर ध्यान देना चाहिए। कभी-कभी "मैं ठीक हूँ" के पीछे बहुत कुछ अनकहा होता है।
Book Name : Bad Touch or Good Touch
Author By : Aditya Kumar