स्कूल की घंटी बजी और सभी बच्चे अपनी-अपनी क्लासों की ओर दौड़े। रिया भी धीरे-धीरे चल रही थी, उसके हाथ में वही पुराना गुलाबी रंग का बैग था जिसमें उसकी पसंदीदा किताबें और टिफिन रखा था। मगर आज उसकी चाल में जो थकावट थी, वो शरीर की नहीं, बल्कि मन की थी।
पिछले कुछ हफ्तों से रिया एक अजीब अनुभव से गुजर रही थी — एक ऐसा अनुभव जिसे वो ना समझ पा रही थी, ना ही किसी को बता पा रही थी। उसे डर लगता था, लेकिन डर का कारण वो खुद भी ठीक से नहीं समझ पाती थी।
स्कूल में एक सहायक स्टाफ था, नाम था कमल काका। वो बच्चों की पानी की बोतल भरना, क्लासरूम साफ़ करना, और ज़रूरत पर बच्चों को मदद देना जैसे काम करता था। शुरू-शुरू में तो रिया को भी लगता था कि वो मददगार हैं — मगर धीरे-धीरे कमल काका का बर्ताव अजीब होने लगा।
जब भी वह अकेली होती, कमल काका उसके कंधे पर हाथ रखकर ज़्यादा देर तक टकटकी लगाए देखते। कई बार वो बहाने से रिया के बैग को ठीक करने की कोशिश करता और जानबूझकर उसके शरीर के कुछ हिस्सों को छूता, जिससे रिया को बहुत असहज महसूस होता। रिया का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगता, पर वो कुछ बोल नहीं पाती। एक बार उसने धीरे से कहा,
"मुझे ये अच्छा नहीं लगता..."
पर कमल काका मुस्कराकर बोले,
"अरे, मैं तो तुम्हें प्यार करता हूँ, जैसे अपनी बेटी से करता हूँ।"
रिया को समझ नहीं आया कि यह प्यार था या कुछ और...
वो कन्फ्यूज हो गई थी — यही तो सबसे खतरनाक स्थिति होती है। एक बच्चा जब खुद ये न समझ पाए कि उसे तकलीफ़ क्यों हो रही है, तो वो क्या कहेगा?
हर बार ऐसा होने पर वो और चुप हो जाती। स्कूल में अब उसका मन नहीं लगता, खेलने में भी दिल नहीं लगता। उसकी आँखों में उदासी घर कर चुकी थी।
जब भी कमल काका सामने आते, वह किसी दीवार के पीछे छिप जाती, या कोशिश करती कि भीड़ में रहे।
माँ-पापा भी परेशान थे।
माँ पूछती,
"रिया, कुछ हुआ है क्या स्कूल में?"
वो सिर हिला देती, "नहीं मम्मी, सब ठीक है..."
मगर उस "सब ठीक है" में बहुत कुछ टूटा हुआ था।
एक दिन स्कूल में एक विशेष कक्षा रखी गई थी — "गुड टच और बैड टच" पर। कुछ बच्चे ध्यान से सुन रहे थे, मगर रिया एक कोने में बैठी चुपचाप अपनी उंगलियाँ मरोड़ रही थी। जब शिक्षिका ने बताया कि “अगर कोई ऐसा छूता है जिससे आपको डर लगे, मन खराब हो या आप असहज महसूस करें — तो वह बैड टच है।”
रिया के मन में बिजली सी कौंध गई।
“तो ये जो मेरे साथ हो रहा है... वो बुरा स्पर्श है?”
उस दिन के बाद रिया की सोच बदलने लगी, मगर अभी भी बोलने का साहस नहीं जुटा पाई थी। डर, शर्म, और समाज की बंद आवाज़ों ने उसे जकड़ रखा था।
मगर कोई और था, जिसने रिया की चुप्पी को महसूस किया — विवेक।
उसने रिया की आँखों में वो डर देखा था। उसके चुपचाप सहने की खामोश आवाज़ें उसने सुनी थीं।
और यहीं से शुरू होती है एक नई उम्मीद की शुरुआत...
📚 सीख:
बच्चों को यह समझाना बहुत जरूरी है कि हर स्पर्श प्यार भरा नहीं होता।
अगर कोई भी स्पर्श बच्चे को डराए, असहज करे, या उनका दिल कहे कि "यह गलत है", तो वह बैड टच है।
ऐसे में बच्चों को सिखाना चाहिए कि वो तुरंत किसी विश्वसनीय व्यक्ति — जैसे माता-पिता, शिक्षक या किसी बड़े को बताएं।
चुप रहना समाधान नहीं है, बोलना ही बचाव है।
Book Name : Bad Touch or Good Touch
Author By : Aditya Kumar