पिछली बार हमने देखा कि पत्रकार आरव ने माया की कहानी दुनिया को सुनाई और माना गया कि उसकी आत्मा को शांति मिल गई। लेकिन क्या आत्माएं इतनी आसानी से शांत होती हैं? क्या कोई अधूरी आत्मा सच में बस भूल जाने से विदा हो जाती है?
शायद नहीं...
📷 अजनबी वीडियो कॉल
आरव अब पत्रकारिता छोड़ चुका था। वो दिल्ली में एक शांति-से भरे जीवन की ओर बढ़ रहा था — लेकिन एक रात उसके लैपटॉप पर एक अनजान नंबर से वीडियो कॉल आया।
कॉल उठाते ही स्क्रीन ब्लैक हो गई और उसमें सिर्फ़ एक दृश्य दिखाई दिया — हवेली की जली हुई दीवारें… और उन दीवारों पर खून से लिखा एक शब्द:
"लौट आओ…"
आरव ने कॉल काट दिया, लेकिन स्क्रीन बंद नहीं हुई। अचानक एक लड़की की परछाईं उभरी — वही सफेद साड़ी, वही मोमबत्ती।
🔍 सच या छल?
आरव ने तकनीकी जानकार दोस्त रितिक से जांच करवाई। रितिक ने बताया कि कॉल न तो किसी नेटवर्क से आया था, न ही इंटरनेट से ट्रेस हो रहा था।
“ये किसी ह्यूमन नेटवर्क से नहीं भेजा गया… शायद कोई energy source था,” रितिक ने कहा।
अब आरव के लिए यह खेल नहीं रह गया था। वो जानता था — माया की आत्मा ने उसे नहीं छोड़ा।
🧳 वापसी शिवपुर की
आरव ने निर्णय लिया — शिवपुर लौटना ही होगा।
लेकिन इस बार वह अकेला नहीं था। उसके साथ थे:
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रितिक – टेक एक्सपर्ट
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नेहा – पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर
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विवेक – लोकल गाइड
गाँव पहुँचते ही सब कुछ वैसा ही था — वही डर, वही चुप्पी, और हवेली अब एक स्मारक के नीचे दबी थी। लेकिन लोगों का कहना था कि माया अब स्मारक में नहीं, जंगल में दिखती है।
🌲 जंगल की छाया
रात के समय, टीम ने कैमरे और साउंड डिटेक्टर लेकर जंगल का रुख किया।
लगभग 3 किलोमीटर अंदर, उन्हें एक पुराना कुंआ मिला — टूटे पत्थर, खून के धब्बे, और जली हुई चूड़ियाँ।
तभी हवा चलनी बंद हो गई। पेड़ हिलने बंद हो गए। और सबने एक साथ सुना — "मेरी बात सुनो..."
नेहा ने EVP (Electronic Voice Phenomenon) रिकॉर्डर ऑन किया — और जो आवाज़ रिकॉर्ड हुई उसने सबके रोंगटे खड़े कर दिए:
"मुझे जलाया गया... पर मैं अब भी जल रही हूँ…"
🩸आत्मा की नई शक्ति
हवेली को तोड़ने से माया शांत नहीं हुई थी — उसने अब अपनी शक्ति को जंगल के ज़रिये और तेज कर लिया था। वो अब जगह बदल सकती थी, आवाज़ बन सकती थी, छाया बन सकती थी।
विवेक अचानक गायब हो गया। केवल उसका कैमरा मिला — जिसमें अंतिम फ्रेम था:
एक मोमबत्ती, और एक हाथ जो धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रहा था।
🕯️ आत्मा से संवाद
नेहा ने तय किया कि आत्मा से सेशन किया जाएगा — एक पुरानी तकनीक से जिसे "Circle of Spirit Binding" कहा जाता है।
चारों ने पेड़ों के बीच मोमबत्तियाँ जलाकर एक घेरा बनाया और आत्मा को बुलाया।
माया आई। लेकिन इस बार उसका चेहरा पहले से ज़्यादा डरावना था — एक तरफ जली हुई खाल, आँख से बहता खून, और शरीर से धुआँ उठता।
उसने सीधे आरव की तरफ देखा और कहा:
"तूने मुझे अधूरा दिखाया… पर मैं पूरी हूँ। अब तू अधूरा रहेगा…"
⏳ उल्टी गिनती शुरू
उस रात के बाद से आरव के साथ अजीब घटनाएँ होने लगीं:
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हर शीशे में उसे माया की परछाईं दिखती
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उसकी नींद में वही जलने की चीखें
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शरीर पर हर सुबह नए जलने के निशान
नेहा ने बताया:
"माया अब तुझमें प्रवेश करना चाहती है। उसने तुझे चुना है — अपना नया माध्यम बनने के लिए।"
🔮आखिरी उम्मीद – माया का सच
नेहा ने गांव की एक सौ साल पुरानी डायरी खोजी। उसमें माया का असली सच था:
माया को जलाया गया था, लेकिन वो मरने से पहले किसी को क्षमा नहीं कर सकी। उसकी आत्मा इसलिए अधूरी नहीं थी क्योंकि वो मरी, बल्कि इसलिए क्योंकि वो माफ़ नहीं कर सकी।
यदि आरव या कोई उसकी आत्मा के सामने "क्षमा" के शब्द कहे, और वो उसे स्वीकार ले — तभी मुक्ति मिलेगी।
👣माफी की रात
फिर पूर्णिमा की रात आई।
आरव अकेले जंगल के उस पुराने कुंए के पास गया और घुटनों पर बैठकर बोला:
"माया… मुझे माफ़ कर दो। तुम्हारी कहानी अधूरी नहीं थी… हमने उसे अधूरा बना दिया।"
लंबा सन्नाटा…
फिर अचानक सभी मोमबत्तियाँ बुझ गईं। हवा में एक तेज़ गंध फैली। और आरव के सामने खड़ी थी माया — इस बार उसकी आँखों से खून नहीं बह रहा था, बल्कि आँसू थे।
उसने सिर झुकाया… और धीरे-धीरे धुआं बनकर हवा में विलीन हो गई।
🎬 क्या यह अंत था?
माया की आत्मा शायद मुक्त हो गई। लेकिन जो इंसान उसके सबसे करीब गया — आरव — उसके भीतर माया की याद हमेशा के लिए रह गई।
कहते हैं, उसने पत्रकारिता में वापसी नहीं की… पर उसके कमरे में आज भी एक मोमबत्ती जली रहती है… हर रात… ठीक 2 बजे…