कमरे में हल्की रोशनी थी। रिया अपने कमरे के कोने में बैठी थी, लेकिन आज उसका चेहरा शांत था — जैसे मन का बोझ उतर गया हो। उसने आज पहली बार किसी को सब कुछ बता दिया था। लेकिन फिर भी, एक डर अब भी उसके दिल में था —
“जब मम्मी-पापा को पता चलेगा, वो क्या सोचेंगे?”
उसे यह डर था कि शायद मम्मी कहेंगी,
"तुमने पहले क्यों नहीं बताया?"
या पापा नाराज़ हो जाएँ,
"ये सब सोचती कैसे हो इतनी छोटी उम्र में?"
रिया के मन में कई सवाल थे, लेकिन विवेक ने उसे समझाया था:
"मम्मी-पापा तुमसे बहुत प्यार करते हैं। अगर उन्हें सच पता चलेगा, तो वो तुम्हारे सबसे बड़े सहायक बनेंगे। वो तुम्हें कभी डांटेंगे नहीं, बल्कि तुम्हें और मज़बूत बनाएँगे।"
अगले दिन स्कूल से छुट्टी के बाद, शालिनी मैम के साथ रिया और विवेक के माता-पिता स्कूल आए।
शालिनी मैम ने सारी बात बहुत ही सावधानी और संवेदनशीलता से बताई —
कमल काका का व्यवहार, रिया की चुप्पी, और कैसे विवेक ने सच्चाई जानकर उसे साथ दिया।
रिया की मम्मी की आँखों में आँसू थे। उन्होंने रिया को गले से लगा लिया।
"बिटिया, तुमने ये सब अकेले सहा... हमें क्यों नहीं बताया?"
रिया फूट-फूटकर रो पड़ी।
"मम्मी… मुझे डर लगता था… कहीं आप मुझसे नाराज़ ना हो जाएँ…"
पापा की आँखें नम थीं, लेकिन उनका स्वर मजबूत था:
"रिया, हम तुम्हारे माता-पिता हैं। तुमसे बहुत प्यार करते हैं। तुम्हारे साथ अगर कोई गलत करेगा, तो हम सबसे पहले उसके खिलाफ खड़े होंगे। तुम्हें कभी डरना नहीं चाहिए।"
मम्मी ने उसका चेहरा थामते हुए कहा:
"तुम बहुत बहादुर हो। तुमने अपनी हिम्मत से बुराई को हराया है। और हमें तुम पर गर्व है।"
उस दिन रिया को एक बहुत बड़ी बात समझ आई —
सच को छुपाने से सिर्फ दर्द बढ़ता है, लेकिन जब हम अपने माता-पिता को सच बताते हैं, तो वो हमारी ढाल बन जाते हैं।
घर लौटते समय रिया ने पहली बार रास्ते में खिलखिलाकर हँसी।
वो जानती थी कि अब वो अकेली नहीं है। उसके पास मम्मी-पापा का साथ है, विवेक जैसा दोस्त है और अपने सच का बल है।
पापा ने रास्ते में ही एक बुकस्टोर से उसे एक डायरी दिलाई —
"इसमें अपने मन की हर बात लिखना, चाहे वो छोटी हो या बड़ी। और जब भी डर लगे, हमसे कहना — हम हमेशा तुम्हारे साथ हैं।"
📚 सीख:
बच्चों को सिखाना ज़रूरी है कि माता-पिता सबसे भरोसेमंद साथी होते हैं।
अगर कुछ भी गलत हो, डर लगे, या कोई मन दुखाए — तो माँ-बाप को बताना चाहिए।
डर, शर्म, या संकोच बच्चों को अंदर ही अंदर खा जाता है। लेकिन जब सच सामने आता है, तो healing शुरू होती है।
माता-पिता को भी चाहिए कि वो बच्चों की हर छोटी-बड़ी बात को महत्व दें, उन्हें सुनें, समझें और बिना डाँटे उनका साथ दें।
Book Name : Good Touch or Bad Touch
Author By : Aditya Kumar