विवेक एक समझदार और संवेदनशील बच्चा था। वो उन लोगों में से था जो सिर्फ अपनी पढ़ाई में नहीं, बल्कि दूसरों की भावनाओं को समझने में भी आगे था। रिया के व्यवहार में जो बदलाव आया था — उसकी चुप्पी, उदासी और डर — वो उसे लगातार खटक रहा था।
रिया पहले क्लास की सबसे चुलबुली और खुशमिजाज बच्ची हुआ करती थी। वो खेल में सबसे आगे, सवालों में सबसे तेज और हँसी में सबसे बुलंद होती थी। लेकिन अब — वो हर समय चुप रहती थी, किसी से बात नहीं करती और कई बार आँखें डबडबाई हुई लगती थीं।
गुड टच-बैड टच की वर्कशॉप के बाद विवेक के भीतर एक नई समझ आ चुकी थी। उसने महसूस किया कि शायद रिया के साथ भी कुछ ऐसा हुआ है जो उसे परेशान कर रहा है।
एक दिन खेल के मैदान में, जब बाकी बच्चे झूले पर थे, विवेक ने धीरे से रिया के पास जाकर पूछा,
"रिया, क्या तुम मुझसे कुछ कहना चाहती हो? मैं कुछ नहीं पूछूँगा अगर तुम नहीं चाहो, लेकिन अगर कुछ गलत हो रहा है, तो मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
रिया ने पहले उसकी ओर देखा, फिर नजरें झुका लीं। उसकी आँखों में आँसू भर आए।
फिर उसने धीमे-धीमे, बहुत हिम्मत जुटाकर कहा,
"कमल काका... वो मुझे छूते हैं… वहाँ जहाँ नहीं छूना चाहिए… मुझे बहुत डर लगता है विवेक..."
विवेक का चेहरा सख्त हो गया। उसकी छोटी-सी मुट्ठियाँ भिंच गईं।
उसने कहा,
"रिया, तुम्हें अब चुप नहीं रहना चाहिए। चलो, हम टीचर को बताते हैं। मैं तुम्हारे साथ हूँ।”
रिया डर गई।
"अगर किसी को बताया तो वो और नुकसान करेगा…”
विवेक ने उसे भरोसा दिलाया,
"रिया, हम अकेले नहीं हैं। हमारे साथ टीचर्स हैं, हमारे मम्मी-पापा हैं, और सबसे बड़ी बात — सच हमारे साथ है। और जब हम सच्चे होते हैं, तो डर नहीं लगता।"
ईमानदारी और साहस, विवेक की सबसे बड़ी ताकत थे। वो जानता था कि बुराई को तभी रोका जा सकता है जब हम उसके खिलाफ आवाज उठाएं। चुप्पी सिर्फ उसे और ताकत देती है।
अगले दिन, विवेक ने रिया का हाथ थामा और दोनों सीधे शालिनी मैम के पास गए।
शालिनी मैम ने जब दोनों के चेहरे देखे, तो वो खुद समझ गईं कि कुछ गंभीर बात है।
रिया बहुत डरी हुई थी, लेकिन विवेक ने उसे हिम्मत दी।
रिया ने काँपते होठों से पूरी बात बताई — क्या हुआ, कब हुआ, कैसे-कैसे कमल काका ने उसे छूने की कोशिश की।
शालिनी मैम की आँखों में आंसू थे — गुस्से और दुःख के। उन्होंने तुरंत प्रिंसिपल को बुलाया, रिया के माता-पिता को बुलाया और कड़े कदम उठाए।
कमल काका को उसी दिन स्कूल से निकाल दिया गया और पुलिस में शिकायत की गई।
उस दिन रिया ने पहली बार खुलकर साँस ली।
उसने विवेक से कहा,
"अगर तुम ना होते तो शायद मैं कभी बोल नहीं पाती…"
विवेक मुस्कराया और बोला,
"तुमने खुद बोला रिया, मैंने बस तुम्हारा साथ दिया।”
📚 सीख
जब कोई बच्चा चुप हो जाए, डरे, या असहज महसूस करे — तो वहाँ कुछ गलत हो रहा होता है।
सही दोस्त, सही समय पर किया गया सही काम — किसी की ज़िंदगी बदल सकता है।
बच्चों को सिखाना ज़रूरी है कि ईमानदारी, संवेदनशीलता और साहस उनकी सबसे बड़ी ताकतें हैं।
अगर आप सच्चे हैं और सही के लिए खड़े होते हैं, तो कोई आपको तोड़ नहीं सकता।
Book Name : Bad Touch or Good Touch
Author By : Aditya Kumar