अगले दिन स्कूल में एक विशेष कार्यशाला रखी गई थी जिसका नाम था — “सुरक्षित स्पर्श की समझ”। यह कार्यशाला स्कूल के बच्चों को यह सिखाने के लिए रखी गई थी कि कौन सा स्पर्श ठीक है और कौन सा नहीं।
टीचर शालिनी मैम ने सभी बच्चों को रंग-बिरंगे चार्ट दिखाए जिनमें एक चित्र बना था — एक बच्चा जिसकी छाती, पीठ, घुटने और हाथों को तीन रंगों से दिखाया गया था — हरा, पीला और लाल।
शालिनी मैम ने मुस्कराते हुए समझाया:
“बच्चों, हर स्पर्श अच्छा नहीं होता। कुछ स्पर्श होते हैं जो हमें प्यार, सुरक्षा और अपनापन महसूस कराते हैं — जैसे आपकी मम्मी का गले लगाना, पापा का माथे पर हाथ फेरना, या आपकी टीचर का आपको शाबाशी में थपथपाना। ये गुड टच हैं।
लेकिन अगर कोई आपको ऐसे छुए कि आपको डर लगे, गुस्सा आए, या आप रोना चाहें — तो वो बैड टच है। और ऐसा स्पर्श कभी भी स्वीकार नहीं करना चाहिए। अगर ऐसा हो, तो आप ज़ोर से 'नहीं' कहें और तुरंत किसी बड़े को बताएं।”
रिया एकटक चार्ट को देख रही थी। उस चार्ट पर लाल रंग से जो हिस्से दिखाए गए थे — जैसे छाती, प्राइवेट पार्ट्स, और पीछे की जगह — उसे देखकर वो सिहर गई।
शालिनी मैम ने आगे कहा:
“आपके शरीर के कुछ हिस्से खास होते हैं, जिनको कोई नहीं छू सकता — ना स्कूल में, ना घर पर, ना कहीं और — सिवाय जब डॉक्टर जांच कर रहा हो और मम्मी-पापा साथ हों। अगर कोई वहां छूने की कोशिश करे या ज़बरदस्ती करे — तो याद रखो, वो ग़लत है और बोलना ज़रूरी है।”
रिया की आँखों में अब सवाल नहीं, बल्कि उत्तर थे।
उसे समझ आ गया था — जो उसके साथ हो रहा था, वह बुरा था।
अब उसके भीतर एक नई चेतना जागी थी — सच जानने की, अपने आप को सुरक्षित रखने की, और सबसे जरूरी — सच बोलने की।
वहीं दूसरी ओर, विवेक ने भी इस कार्यशाला को बहुत गंभीरता से सुना।
वो समझ गया कि रिया की चुप्पी, उसका डर और उसका असहज व्यवहार यूँ ही नहीं था।
उसने सोचा,
“अब मुझे कुछ करना होगा। अगर मैं ईमानदार दोस्त हूँ, तो उसकी मदद करना मेरा कर्तव्य है।”
टीचर ने बच्चों को तीन मंत्र सिखाए:
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ना कहो — ज़ोर से और साफ़ शब्दों में।
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वहाँ से भागो — जहाँ ऐसा कुछ हो रहा हो।
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किसी बड़े को बताओ — मम्मी, पापा, टीचर या स्कूल काउंसलर को।
शालिनी मैम ने एक गाना भी सुनाया, जो बच्चों को याद रहे:
✨ "मेरा शरीर मेरा है, इसकी रक्षा मैं करूंगा।
जो अच्छा लगे वो हां, जो बुरा लगे वो ना।
ज़ोर से बोलूंगा, चुप ना रहूंगा।
अपने सच के लिए हमेशा खड़ा रहूंगा।" ✨
उस दिन रिया ने पहली बार अपने आप को थोड़ा हल्का महसूस किया।
उसने अपने दिल में ठान लिया — अब वो चुप नहीं रहेगी।
📚 सीख:
बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श की पहचान सिखाना आवश्यक है।
उन्हें आत्मविश्वास देना चाहिए कि वो अपने अनुभव साझा कर सकें, और किसी भी डर या शर्म को मन में ना रखें।
अगर हर बच्चा समझेगा कि उसका शरीर उसका है, तो समाज में बदलाव निश्चित है।
Book Name : Bad Touch or Good Touch
Author By : Aditya Kumar