सर्दियों की वो ठंडी सुबह थी जब दिल्ली की तंग गलियों में सूरज की किरणें मुश्किल से ज़मीन तक पहुंचती थीं। उन्हीं गलियों के एक कोने में, तिरपाल और टीन की छत से बनी एक झोपड़ी के अंदर बैठा था आर्यन—बीस साल का एक लड़का, जिसकी आँखों में ख्वाब तो थे, लेकिन जेब में फूटी कौड़ी नहीं।
उसकी माँ, राधा, पास के घरों में बर्तन माँजने जाती थी और पिता का कोई अता-पता नहीं था। आर्यन दिन में कॉलेज जाता, रात को एक ढाबे पर वेटर की नौकरी करता और जो समय बचता, उसमें किताबें पढ़ता—खासकर बिज़नेस और इन्वेस्टमेंट की।
"माँ, एक दिन मैं ऐसा कुछ करूंगा कि हमारे झोपड़े की जगह बंगला होगा," आर्यन ने एक शाम माँ से कहा।
राधा मुस्कराई, लेकिन उसके चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी। वो जानती थी कि दिल्ली जैसे शहर में सपने पालना आसान है, लेकिन उन्हें हकीकत में बदलना...
उसी मोहल्ले में कुछ दिनों से एक नई लड़की दिख रही थी—काव्या। महंगे कपड़े, गाड़ी से उतरती हुई, हर बात में नफ़ासत। लेकिन उसकी आँखों में भी कुछ खालीपन था, जैसे वो सब कुछ होते हुए भी अधूरी हो।
एक दिन काव्या की गाड़ी मोहल्ले के बाहर खराब हो गई। वही मौका था जब आर्यन और काव्या की पहली मुलाकात हुई। वो मदद के लिए दौड़ा, और उसके अंदाज़ ने काव्या को चौंका दिया।
"तुम पढ़े-लिखे लगते हो, यहाँ क्या कर रहे हो?" काव्या ने पूछा।
आर्यन ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, "जो सपने देखने की हिम्मत रखते हैं, वो कहीं भी पैदा हो सकते हैं।"
काव्या हँस पड़ी। वही हँसी थी जिसने आर्यन की दुनिया बदल दी।
लेकिन उसे क्या पता था कि ये मोहब्बत एक ऐसा खेल बनने वाली है जिसमें न सिर्फ दिल, बल्कि जान भी दाँव पर लगेगी...
Book Name : MOHABBAT KA SAUDA
Author By : Aditya Kumar